महाराजा रणजीत सिंह: शेर-ए-पंजाब

महाराजा रणजीत सिंह: शेर-ए-पंजाब


रणजीत सिंह का प्रारंभिक परिचय

रणजीत सिंह का जन्म 2 नवंबर 1780 को हुआ था। उनके पिता का नाम महा सिंह तथा माता का नाम राजकोर था। उस समय पंजाब में छोटे-छोटे 12 राज्य थे जो मिशल कहलाते थे। महा सिंह भी एक मिशल (राज्य) सुखेर के चुकीया के सरदार अथवा शासक थे। बचपन में रणजीत सिंह ने यद्यपि पुस्तकी विद्या प्राप्त नहीं की तथापी अन्य अद्भुत प्रतिभा और कुशाग्र बुद्धि के द्वारा उन्होंने युद्ध कला घुड़सवारी तथा हथियार चलाने का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात रणजीत सिंह 12 वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठ गए। आरंभ के कुछ वर्षों में वह अपनी मां और सास के संरक्षण में रहे। 18 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना विजय अभियान शुरू किया अपने सीमित सैन्य शक्ति किंतु अभूतपूर्व धैर्य, साहस, पराक्रम और शौर्य के बल पर उन्होंने पंजाब के विभिन्न प्रदेशों को जीतकर अपनी छोटी सी जागीर को विशाल राज्य में बदल दिया। 1798 में काबुल के शासक जमानशाह से समझौता करके रणजीत सिंह ने पेशावर पर अधिकार कर लिया। शीघ्र ही रणजीत सिंह ने जम्मू के शासक को भी अपने अधीन बना लिया और रंजीतसिंह एक विशाल राज्य का स्वामी हो गए कर लिया।

रणजीत सिंह के राज्य का विस्तार- 

अपनी शक्ति में वृद्धि करके रणजीत सिंह ने अनेक राजाओ और प्रदेशों पर विजय प्राप्त की। उन्होंने अकलगढ़ कसूर और गुजरात के छोटे राज्यों पर विजय प्राप्त की। 1805 में उन्होंने अमृतसर पर अपना अधिकार कर लिया। रणजीत सिंह अंग्रेजों की शक्ति से अच्छी तरह परिचित थे। उन्होंने जसवंत राव होल्कर की प्रार्थना पर उन्हें अंग्रेजों के विरुद्ध कोई सहायता नहीं दी। 1805 के बाद सतजल पार करके विभिन्न राज्यों पर विजय प्राप्त की तथा अनेक राजाओं को अपने अधीन बनाया। रणजीत सिंह की शक्ति से अंग्रेजी भी सतर्क थे रणजीत सिंह से शत्रुता मोल नहीं लेना चाहते थे। 1805 में अंग्रेजों ने रणजीत सिंह से अमृतसर की संधि कर ली। इस संधि के अनुसार सतजल नदी को रणजीत सिंह के राज्य की दक्षिण सीमा माना गया तथा अंग्रेजों ने रणजीत सिंह के राज्य में हस्ताक्षर न करने का वचन लिया। अमृतसर की संधि के कारण रणजीत सिंह ने अपने राज्य का विस्तार पश्चिम की ओर किया 1823 को उन्होंने पश्चिम भारत में स्थित साम्राज्य की स्थापना करने में सफलता प्राप्त कर ली थी। उनके साम्राज्य में सतजल नदी के पश्चिम का संपूर्ण पंजाब, मुल्तान, कश्मीर और पेशावर तक के विस्तृत प्रदेश सम्मिलित है। इसमें कोई संदेह नहीं की रणजीत सिंह द्वारा विशाल सिख राज्य की स्थापना एक महान कार्य था। आपस में लड़ रहा है सिखों को संगठित करके उन्हें एक महान शक्ति में बदल देना रंजीत सिंह की महान क्षमता और कुशलता का परिचायक है।

रणजीत सिंह का शासन प्रबंधन-

रणजीत सिंह केवल योद्धा महान विजेता और साम्राज्य निर्माता ही नहीं वरन एक उच्च कोटि का संगठन कर्ता और साक्षात भी थे। उन्होंने अपने शासन का संगठन बहुत ही योग्यता और सोचसमझ किया। उनका राजस्व का सिद्धांत जन कल्याण पर आधारित था। वह निरंकुश होते हुए भी सदैव जनता के कल्याण का ध्यान रखते थे। इसलिए उनके शासन में जनता पूर्ण संतुष्टि थी। धार्मिक कट्टरता इसमें बिल्कुल नहीं थी सभी धर्मलंबी उनके राज्य में उच्च पदों पर नियुक्त थे।

रणजीत सिंह का राज्य चार प्रांतों में- 

कश्मीर, मुल्तान, पेशावर और लाहौर में विभाजित था। प्रांतीय गवर्नर नाजिम कहलाते थे। नाजिम से नीचे कारदार नामक अधिकारी होते थे। प्रत्येक प्रांत अनेक परअंगों में विभाजित होता था। कृषकों को उनकी उपज का दो बटे पांच से एक बटे तीन तक खेती की उर्वरकता के आधार पर कर वसूल किया जाता था। भूमि कर वसूल करने का काम कारदार मुकदम कानूनगो और पटवारी करते थे। इन कर्मचारियों को वेतन के अतिरिक्त पांच प्रतिशत कमीशन भी मिलता था। जगीरो में जागीरदार लगान वसूल करने सरकारी खजाने में जमा करते थे। भूमि के अतिरिक्त अन्य साधनों से भी राज्य को काफी आय होती थी।

न्याय व्यवस्था- 

रणजीत सिंह की न्याय व्यवस्था निरंकुश सुधारो पर आधारित थी। राज्य में कोई लिखित दंड विधान नहीं था। ग्राम निवासियों के झगड़े का निपटारा ग्राम पंचायतें करती थी। राज्य का सर्वोच्च न्यायाअधिपति रणजीत सिंह स्वयं ही थे। और उनकी अदालत लाहौर में थी जो अदालत-अल-आल कहलाती थी।दंड-विधान बहुत कठोर था।

सैनिक व्यवस्था- 

सेना के द्वारा ही रणजीत सिंह ने एक विशाल राज्य की स्थापना की थी। अतएव सेना को कुशल और मजबूत बनाने में उन्होंने पूरा ध्यान दिया था। सेना मुख्यतः दो भाग विभागों में बटी थी। फौजी ए खास तथा फौज ए आम। फ़ोज ए खास एक स्थाई सेना थी। सेवा में पैदल घुड़सवार तथा तोपखाना नामक तीन अंग थे। रणजीत सिंह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे वह जानते थे कि कभी ना कभी सिखों को अंग्रेजों का मुकाबला करना पड़ेगा। इसलिए उन्होंने अपनी सेवा में पैदल और तोपखाने को विशेष मजबूत बनाने का प्रयास किया।






Post a Comment

और नया पुराने