बच्चों को जूस पिलाएं पर बहुत कम

दांत खराब होते हैं और वजन भी बढ़ने लगता है 

किसी समय फलों का जूस संतुलित ब्रेकफास्ट का हिस्सा होता था । लेकिन इन दिनों उसकी स्थिति थोड़ी ठीक नहीं है । 2017 में अमेरिकी पीडियाटिक्स अकादमी ( एएपी ) की सिफारिशों के बाद जूस में शुगर और कैलोरी अधिक होने को लेकर चिंता जताई जाने लगी है । एएपी ने कहा , एक वर्ष पूरा होने से पहले जूस से शिशुओं को कोई पोषक फायदे नहीं होते हैं । बड़े बच्चों को भी वजन बढ़ने और दांत खराब होने से बचाने के लिए कम मात्रा में जूस लेना चाहिए । 
न्यूयॉर्क प्रेसबाइटेरियन मोर्गन स्टेनले चिल्डंस अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ . वांडा एवरयू कहती है , बच्चों के लिए फल ही बेहतर है । जूस में फल के समान विटामिन और प्राकृतिक शुगर होती है । लेकिन , उसमें फाइबर नहीं रहते हैं । फाइबर के कारण सेब या संतरे से पेट थोड़ा भरता है । जुस से पेट कम भरता है । उसे फल का तुलना में आसानी से ज्यादा ले सकते हैं । जुस के साथ शुगर की भारी मात्रा खून में सीधे पहुंचती है । इससे वजन बढ़ सकता है । एएपी का कहना है , यदि छोटे बच्चे अधिक जूस पीएंगे तो उनके दांत कमजोर होंगे । 
चिल्ड्स अस्पताल कोलोरेडो में बाल न्यूट्रिशन विशेषज्ञ डॉ . मैट हेमर जुस की बजाय फ्रोजन या स्वीटनर मुक्त डिब्बाबंद जूस लेने की सलाह देते हैं । फिर भी , एवरयू कहती हैं , अगर बच्चे कभी - कभार जूस पी लेते हैं तो चिंता की भी बात नहीं है । 

बच्चे कितना जूस पीएं 

नवजात शिशुओं को बिलकुल भी जूस न पिलाएं । 
एक से तीन वर्ष के बच्चों को दिन भर में 100 एमएल से ज्यादा नहीं । 
चार से छह वर्ष के बच्चों को दिन भर में 150 एमएल 
इससे बड़े बच्चों को दिनभर में 250 एमएल

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